वोटरशिप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वोटरशिप क्या है?
  1. स्कालरशिप की तर्ज पर नया शब्द।
  2. जीडीपी में मशीनों के हिस्से में मतकर्ता का हिस्सा।
  3. निजी सम्पत्ति व निजी आय में राजव्यवस्था का हिस्सा व उस हिस्से में राजव्यवस्था के निर्माताओं यानी वोटरों का लाभांश।
  4. राजव्यवस्था व कानून निर्माण की मतकर्ता को मिलने वाली फीस।
  5. लोकतंत्र के तीनों स्तम्भों की तरह केन्द्रीय स्तम्भ यानी मतकर्ता को मिलने वाली फीस।
  6. साझी सम्पत्ति के किराये में मतकर्ता का हिस्सा।
  7. विकास में आम आदमी की भागीदारी का उपाय।
  8. आर्थिक लोकतंत्र व आर्थिक आजादी का उपाय।
  9. अपनी मर्जी का काम करने की आजादी पाने का उपाय।
  10. गरिमा के साथ हर नागरिक को जीवन जीने के अधिकार का उपाय।
  11. नकली लोकतंत्र को असली लोकतंत्र बनाने का उपाय।
  12. जनसंख्या नियंत्राण का उपाय।
  13. चुनावों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने का उपाय।
2. वोटरशिप क्यों मिलनी चाहिए?
  1. राजशाही में राजा को राजगद्दी पर भेजने वाला भगवान होता था। लोकतंत्र में राजा को राजगद्दी पर भेजने वाला बन गया वोटर। इसीलिये राजशाही में देश की समस्त सम्पत्ति का मालिक भगवान होता था, लेकिन लोकतंत्र में देश की सम्पत्ति का मालिक बन गया वोटर। लोकतंत्र सन् 1789 में ही आ गया, किन्तु वोटरों में सम्पत्ति का समान बटवारा आज तक न हुआ। वोटरों की सम्पत्ति आज भी सरकार ने अवैध कब्जाधारियों के पास छोड़ रखी है। अवैध कब्जा कराने के लिये सरकार के लोग कब्जाधारियों से स्टाम्प ड्यूटी के नाम पर मोटी रकम रिश्वत में लेते हैं। स्पष्ट है कि सम्पत्ति के वोटर मालिक हैं और कब्जाधारी वोटरों के किरायेदार। किरायेदार से वोटर को किराया मिलना ही चाहिये। यही किराया वोटरशिप है।
  2. डंकेल (गैट) समझौते से बनी खुले विश्व बाजार व्यवस्था में मशीनीकरण मजबूरी है। कम्प्यूटर ने पढ़े-लिखों का काम छीना और बुल्डोजर-ट्रैक्टर व जेसीबी. मशीनों ने अनपढों का। अतः अब हर हाथ को रोजगार देना असंभव है। अब तक बलात् कार्य को रोजगार मानना मजबूरी थी, अब नहीं है।
  3. केवल जीने के लिए जरूरी पैसे के लिए काम की शर्त लगाना आर्थिक गुलामी की कुरीति है। पैसे की मजबूरी में काम उन्हें करना चाहिए, जो रोटी नहीं, वैभव चाहते हैं।
  4. कानून बनाने वाले (वोटर) कानून बनाने की फीस अब तक नहीं लेते थे लेकिन अब लेना चाहते हैं। कानूनों का फायदा उठाकर अमीर बनने वालों को यह फीस (वोटरशिप कोष के लिये कर) देना ही चाहिए।
  5. सरकार बनाना व सरकार के माध्यम से कानून बनावाना स्वयं में काम है। यह काम वोटरों का है. अतः वोटरशिप इस काम की फीस है।
  6. आर्थिक गुलामी अब उत्पादन का जरिया नहीं रही।
  7. जनता का निकम्मापन जनता की बेरोजगारी से कम खराब है।
  8. विकास में हर आदमी को भागीदारी देने का इससे अच्छा कोई उपाय नहीं है। वोटरशिप का कोई विकल्प नहीं है। वोटरशिप अधिकांश वर्तमान समस्याओं का समाधान है।।
3. आर्थिक आजादी क्या है?

अधिकांश किसान जब ट्रैक्टर खरीद लेते हैं, तो बैलों को कटवा देते हैं। उसी प्रकार चैतरफा मशीनें लगा लेने के बाद अब अमीरी रेखा के ऊपर के लोग गरीबों को फालतू जनसंख्या मानने लगे हैं। गरीबों के घरों में जानबूझकर मंहगाई पैदा करके व पैसे की तंगी पैदा करके उन्हें मारने में लगे हैं। विकास के पर्दे के पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय व योजना/नीति आयोग को इसी काम पर लगाया गया है। देश में हो रही आत्महत्यायें आर्थिक नरसंहार की इसी नीति का परिणाम है।

बैल मालिक से प्रेम करके ज्यादा अनाज पैदा करने लगेगा, तब भी बैल को रोटी नहीं, भूसा ही मिलेगा। भूसा खाने के लिए विवश बैल गरीब नहीं, गुलाम होते हैं। बैलों की तरह ही देश के गरीब नागरिक भी गरीब नहीं, कष्टात्मक काम कराने के लिये अरबपतियों द्वारा पाले गये गुलाम हैं। उन्हें मंदबुद्धि, निकम्मा, पिछले जन्म का पापी, शराबी, जुआरी व आलसी कहना या तो अज्ञान है, या उनके खिलाफ साजिश, या दोनों। रोटी के लिए काम करने की शर्त लगाना व वैभव-विलास कानूनों से फ्री में देना आर्थिक गुलामी का सुबूत है।

गरीबी पैसे की कमी के कारण नही होती, कानूनों के कारण होती है। गरीबी आर्थिक गुलामी वाले हरामखोरी रक्षक कानूनों का नतीजा है। आर्थिक गुलामी फोड़ा है, गरीबी इस फोड़े से बहने वाला मवाद। गरीबी उन्मूलन करने का मतलब होता है-मवाद की सफाई करना व फोड़े को बनाये रखना।

14 अगस्त 1947 की रात को ब्रिटेन की रानी ने कुर्सी के साथ-साथ देश की सारी सम्पत्ति का मालिकाना हक देश के सभी लोगों को दिया था। किन्तु सम्पत्ति पर 15 अगस्त के बाद भी वही लोग कब्जा जमाये रहे, जिन्होंने पहले से कब्जा किया हुआ था। यहां के नेताओं को कुर्सी मिल गई, किन्तु जनता को सम्पत्ति आज तक न मिली। अतः लोकतंत्रा में गरीब नागरिकों की आर्थिक गुलामी का खात्मा गरीबों की मदद करने से नहीं, वोटरों की साझी सम्पत्ति पर से कब्जा हटवाने से होगा, या इस सम्पत्ति का किराया वोटरों को हर महीना दिलाने से होगा। वोटरों की सम्पत्ति का यह किराया ही वोटरशिप है। वोटरशिप के बगैर आर्थिक आजादी असंभव है। आर्थिक आजादी के बगैर गरीबी का खात्मा संभव है। वोटरशिप रोटी में हिस्से जैसा है, काम से मिला पैसा भूसे जैसा।

इस आर्थिक नरसंहार को रोकने के लिए 137 संसद सदस्यों ने सन् 2005 में संसद में वोटरशिप के नाम से एक प्रस्ताव पंश किया, किन्तु अरबपतियों ने पार्टियों के अध्यक्षों को धमका दिया। अध्यक्षों ने सांसदों को व्हिप कानून का डर दिखाया। सांसदों ने आगे बढ़ने की हिम्मत नही की। संसद में यह प्रस्ताव लटक गया। गरीबी, गुलामी व आत्महत्यायें जारी है। देश अमीर होता जाएगा, ये समस्यायें आगे हजारों साल तक बनी रहेंगी।

4. गरीब तो अपने कर्मों से गरीब होते है, उनसे सहानुभूति क्यों ?

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( गरीबों संबंधी)

5. गरीब को सताकर ही तो विकास होता है, क्या वोटरशिप देने से विकास नहीं रुक जायेगा ?

वोटरशिप से विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा, ऐसे सभी प्रश्नों और उनके उत्तर जानने के लिए नीचे दिया गला लिंक क्लीक करें


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( विकास संबंधी)


6. वोटरशिप देने के लिए सरकार इतनी बड़ी रकम लायेगी कहाँ से?

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (धन प्रबंध संबंधी)


7. वोटरशिप क्या सपना नहीं है?

वोटरशिप संभव है या नहीं?, ऐसे सभी प्रश्नों और उनके उत्तर जानने के लिए नीचे दिया गला लिंक क्लीक करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( संभावना संबंधी)


8. वोटरशिप के विषय में संसद में क्या हुआ?

वोटरशिप पर संसद में हुई कार्यवाही संबंधी प्रश्नों और उनके उत्तर जानने के लिए नीचे दिया गला लिंक क्लीक करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( संसद संबंधी)

9.  वोटरशिप अधिकार देने पर कौन कौन सी आपत्तियां उठाई जाती है?

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (विविध आपत्तियां)


10.   चीन की तरह मार्क्सवादी शाशन व्यवस्था क्यों नहीं अपना लिया जाये, वोटरशिप अधिकार क्यों?

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (विविध आपत्तियां) note- work is in progress


11.   गरीबी और आर्थिक विषमता ख़त्म करने के पहले से तमाम उपाय हैं तो वोटरशिप अधिकार क्यों?

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (विविध आपत्तियां) note- work is in progress