Skip to content

वोटरशिप

21वीं सदी मशीनों का युग है। आज पढ़े लिखे लोगों का काम कंप्यूटर कर रहा है और अनपढ़ लोगों का काम जेसीबी, ट्रैक्टर और बुलडोजर जैसी बड़ी मशीनें। पुराने अर्थों में अब सभी लोगों को रोजगार देना संभव ही नहीं है। अब एक ही उपाय है कि रोजगार कि वह परिभाषा स्वीकार किया जाए जिसका प्रस्ताव वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल ने किया है और जो धन मशीनों के परिश्रम से, प्राकृतिक साधनों से और कानूनों से पैदा हो रहा है। वह धन सभी लोगों में समान रूप से वितरित करने के लिए वोटरशिप कानून बने। इन दो उपायों को अपना लिया जाए तो 100% लोगों को रोजगार देना संभव हो जाएगा और सभी के घरों में समृद्धि पहुंचाना संभव होगा। वैश्वीकरण के इस युग में निर्यात बढ़ाने के लिए देश के बहुसंख्यक लोगों को जानबूझ कर गरीब बनाकर रखने की नीति अब अप्रासंगिक हो चुकी है। जानबूझकर बनाकर रखी गई गरीबी वास्तव में गरीबी है ही नहीं यह आर्थिक गुलामी है। इसीलिए गरीबी खत्म करने और रोजगार देने के बारे में अन्य परंपरागत उपायों को आजमाते रहना मात्र समय को बर्बाद करना है। क्योंकि लोगों को बीमारी है- आर्थिक गुलामी की। सरकारें इलाज कर रही हैं- गरीबी की। सरकार यह नहीं समझ पा रही है कि आर्थिक गुलामी फोड़ा है। गरीबी तो इस फोड़े से बहने वाली मवाद मात्र है। मवाद पोछने की सरकारी योजनाओं से फोड़ा ठीक नहीं हो सकता। यानी जब तक आर्थिक गुलामी खत्म करने के लिए कानून नहीं बनेंगे, तब तक मशीनों के परिश्रम से धन तो पैदा होता रहेगा लेकिन गरीबी कभी नहीं जाएगी। तब तक अल्पसंख्यकों का शासन बहुसंख्यकों पर चलता रहेगा।

वोटरशिप के उक्त उपाय के बारे में सैकड़ों प्रश्न हैं। संसद की एक कमेटी इस विषय का परीक्षण कर चुकी है और सन 2011 में अपनी रिपोर्ट दे चुकी है।

वोटरशिप – प्राकृतिक संसाधनों से हुई पैदावार पर छपे करेंसी नोट में वोटरों का हिस्सा है।  प्राकृतिक संसाधन, यानी – सोना, चांदी, हीरा, मोती, कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक, वन संपदा, वन्य जीव, समुद्री संपदा ….आदि।

वोटरशिप- कानूनों की उपस्थिति के कारण पैदा होने वाले नोट में कानून बनाने वाले वोटरों का हिस्सा है। जैसे जमीनों व मकानों की रजिस्ट्री के कानून, ब्याज और संपत्तियों के किराये के कानून, उत्तराधिकार और वसीयत के कानून, करेंसी नोट पैदा करने वाले कानून, पुलिस व अदालत कायम करने वाले कानून… आदि।

 वोटरशिप- मशीनों के परिश्रम से पैदा होने वाले उत्पादन के कारण छपने वाले करेंसी नोट में वोटरों का हिस्सा है। क्योंकि पढ़े लिखे लोगों का काम कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खा गया  और अनपढ़ लोगों का काम ट्रैक्टर, बुलडोजर, जेसीबी मशीन और ऑटोमेटिक कल कारखानों ने हथिया लिया है। 

विस्तार से पढ़ें इस पुस्तक में .....