वोटरों को वोटरशिप अधिकार देने संबंधी याचिका के विषय में प्रमुख याचिकाकर्ता श्री विश्वात्मा यानी भरत गांधी से साक्षात्कार करने के लिए तत्कालीन राज्यसभा के उपसभापति यानी भारत के उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा के वरिष्ठ अधिकारी श्री दीपक गोयल की अध्यक्षता में संसदीय सचिवालय के विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का मौखिक आदेश दिया। दीपक गोयल समिति ने श्री विश्वात्मा भरत गांधी को 23 नवम्बर 2011 को संसद भवन में बुलाया और वोटरशिप संबंधी लगभग सभी सवालों के उत्तर पूछे। श्री विश्वात्मा भरत गांधी ने सभी सवालों के मौखिक जवाब दिये और लगभग 121 सवालों का हिन्दी व अंग्रजी में लिखित जवाब जमा भी किया। दिनांक- 02 दिसम्बर, 2010 को दीपक गोयल समिति ने उपराष्ट्रपति को सिफारिश करते हुए कहा कि वोटरशिप का प्रस्ताव न तो अनुचित है और न तो असंभव। इस प्रस्ताव के खिलाफ जो शंकायें पैदा हो रही हैं, वे भी निराधार हैं। अतः समिति वोटरशिप देने की मांग करने वाली विश्वात्मा भरत गांधी व अन्य की याचिका स्वीकार करने की सिफारिश करती है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने फाइल को 20 दिन तक के लिए फिर दबा लिया और 22 दिसम्बर 2011 को राज्य सभा के महासचिव को निर्देशित करके फाइल पर लिखित आदेश दिलवा डाला कि बेहतर हो कि वोटरशिप की मांग करने वाली श्री विश्वात्मा भरत गांधी व अन्य की याचिका पर लोकसभा विचार करें।